अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाली को ही हम मां कहते हैं
मुख्य संपादक-लखन देवांगन/संवाददाता-हरी देवांगन
मदर डे विशेषांक, संपूर्णता की उच्च शिखर होती है जन्मदाती ममतामई मां
मात्री दिवस मना लेने से जन्म दाती मां के अनंत महिमा का बखान करना संभव नहीं है,अधर्मी रावण से लेकर आदि पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम राम सहित सभी ने मां के अनंत महिमा का बखान किया है, और आज भी आधुनिक युग में इस महिमा का बखान किसी भी तरह से कम नहीं आंका गया है,कहने का अर्थ यह है कि किसी भी युग में जन्म दाती मां की महिमा का बखान कर पाना संभव नहीं है,क्योंकि मां आदि अनंत और दुनिया रूपी आकाश कि वह छितिज है जहां सब कुछ समाया जा सकता है, इसीलिए आज हम मात्री देवो भव: जैसे शब्दों को परिभाषित कर पाने में असमर्थ है,मां की ममता एक नन्हे पक्षी से लेकर हर जीव जंतु इस बात को भलीभांति जानते और समझते हैं,कि मां इस धरा कि वह अनंत सच्चाई है जिसे आकार प्रकार देना चांद और सूरज को दीपक की रोशनी दिखाने के बराबर समझा जा सकता है।
मां की महिमा को बखान करने के लिए यह भी कहा जा सकता है कि मां सारा ब्रह्मांड का समूचा आकार को अपने आप में संजोकर रख सकती है,बल्कि यूं कहें कि रखती चली आ रही है,बात जब आती है मां की ममता का तो उसका कोई तुलनात्मक परिभाषा देना संभव नहीं है, मासूम बच्चे से लेकर नन्हा सा परिंदे पर अपनी ममता का छाप हर जगह छोड़ती है,जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर आज भी परिलक्षित हो रहा है,मां एक आकार बिंदु होते हुए भी अब तक की ज्ञात समस्त तत्वों को अपने में समाहित करने का माजदा रखती है।
इतिहास के पन्नों को उअपना सर्वस्व न्योछावर करने वाली को ही हम मां कहते हैं,लट-पुलट करने पर सारा वेद पुराण मां के महत्व को स्वीकार करने के आदर्श उदाहरण से भरा पड़ा हुआ है,मां जब अपने बच्चे पर ममता को न्योछावर करने पर आती है तो अपनी जान की बाजी लगाकर भी बच्चे का बचाओ करती है,मां स्वयं अपनी जिंदगी को दांव में लगा कर एक नया जीवन का सृजन करती चली आ रही है,यही इस दुनिया की एकमात्र ऐसी सच्चाई है जिसे वह हर व्यक्ति,वह हर जीव स्वीकार करेगा जिसने अपनी मां के गर्भ से जन्म पाया हो,मां अपने बच्चे को पालन पोषण करने से लेकर भविष्य सहित सुरक्षा पर जब अपनी नजरें इनायत करती है तो वह हर पल इतनी सहज सरल जैसे गंगा मां की अविरल धारा बनकर अपनी मासूम पर न्योछावर करने के लिए आतुर व्याकुल होती है मां अपने बच्चे पर उपकार नहीं करती बल्कि अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाली को ही हम मां कहते हैं।
अनकही,अपरिभाषित,,,, छवि को मां कहते हैं,,,,,।