नवोदय विद्या निकेतन स्कूल भोजपुर, गरीब असहाय बच्चों के निशुल्क शिक्षा को समर्पित
गरीब असहाय बच्चों के निशुल्क शिक्षा को समर्पित ग्राम भोजपुर के अंजोर लाल सूर्यवंशी, बच्चों को दुलार कर देते हैं कापी और पुस्तके
मुख्य संपादक लखन देवांगन/ संवाददाता हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा- यूं तो कहने को पूरा देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू है फिर भी यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है की कतिपय स्कूलों के द्वारा शिक्षा के नाम पर किस कदर लूट मची है,और सब कुछ जानते समझते हुए भी शिक्षा विभाग अथवा शासन प्रशासन शिवाय मुख दर्शक बने रहने के कुछ कर पाने में सर्वथा अक्षम साबित हो रहे हैं,ऐसी हालत में गरीब एवं मध्यम वर्गी मां-बाप अपने बच्चों को हर हाल में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास करते हुए मिल ही जाएंगे, पर यहां सुखद एहसास वाली बात है कि चांपा से सटे हुए ग्राम भोजपुरी के प्रधान पाठक अंजोर लाल सूर्यवंशी गरीब एवं असहाय बच्चों के निशुल्क शिक्षा को लेकर पूरी तरह से समर्पित और जागरूक जनों में गिने जाते हैं अंजोर लाल विद्यालय में प्रवेश लेने वाले बच्चों को बड़े ही दुलार के साथ उनकी जरूरत को पूरा करते हुए कॉपी और पुस्तकों भी निशुल्क प्रदान कर रहे हैं,यहां बढ़ती हुई महंगाई के शिक्षा के कुंड में भारी भरकम शुल्क की आहुति दी जा रही है, जिसके चलते गरीब मां-बाप के होशो हवास को फाख्ता कर दिया है,ऐसा नहीं की गरीब मां-बाप अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर निशुल्क शिक्षा दिलाने में अक्षम साबित हो रहे हैं,बल्कि ऐसे बच्चों के लिए अधिनियम के दायरे में आने वाले विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के 25% सीट आरक्षित कर निशुल्क शिक्षा का लाभ भी मिल रहा है,लेकिन इस अधिनियम के तहत अपने बच्चों को निशुल्क शिक्षा दिलाने के लिए जिस तरह से नियमों के मकड़ जाल से उलझना पड़ रहा है उससे
परेशान और हतोत्साहित होकर गरीब मां-बाप अपने बच्चों को जैसे तैसे कर कम शुल्क वाले स्कूल अथवा सरकारी स्कूल में भेजने के लिए मजबूर हो जाते हैं,ऐसे हालात में मां-बाप को जानकारी होने पर ग्राम भोजपुरी के नवोदय विद्यालय निकेतन स्कूल में बच्चों को भर्ती कराने के लिए भारी तादाद में पहुंच रहे हैं,जहां के प्रधान पाठक अंजोर लाल सूर्यवंशी के द्वारा बड़े ही जोशो उत्साह के साथ बच्चों को प्रवेश देने के साथ ही दुलार और प्यार के साथ जरूरी कापी एवं पुस्तकों को निशुल्क में प्रदान किया जा रहा है,यह अनुकरणीय प्रयास शिक्षा के नाम पर भारी भरकम शुल्क वसूल ने वाले नामी गिनामी स्कूल के संचालकों को सबक लेने की जरूरत है ताकि वे शिक्षा को बजार वाद में झोकने के बजाय गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त्र हो सके और इन दिनों चांपा स्थित भोजपुरी के नवोदय विद्यालय में यथार्थ के धरातल पर साकार कर फलीभूत किया जा रहा है।