सुरक्षा मानकों को नजर अंदाज कर बिना जांचे गैस टंकियां उपभोक्ताओं के हवाले, फील्ड में ही सिलेंडर जांच की औपचारिकता को तिलांजलि दे बैठे हैं जिम्मेदार
मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरी देवांगन
जिला उपमुख्यालय चांपा- जैसे कि हम अपने सुधी पाठकों तक पेट्रोलियम मंत्रालय सहित स्थानीय गैस एजेंटीयों की लापरवाही का नमूना इस आधार पर पेश कर चुके हैं कि गैस वितरण के लिए जिम्मेदार लोगों के द्वारा स्तर हीन डैमेज तथा जंक लगे हुए गैस टंकियां को अधिकांश घरों तक पहुंचा जा रहा है, और एक सामान्य गैस उपभोक्ता इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि चलो कम से कम गैस टंकी हमें मिल तो गया इस सोच से गैस सुरक्षा मानकों को नजर अंदाज कर दिया जाता है,और इसी का फायदा संबंधित लोगों के द्वारा जमकर उठाया जा रहा है,पर यह सही नहीं है, कुछ एजेंसी संचालकों के द्वारा कुछ माह पहले इस संवाददाता को गैस कार्ड सत्यापन के दौरान जबरन गैस पाइप बेचते हुए यह समझाइए दिया जा रहा था कि पुराना गैस पाइप के कारणों से ही कई प्रकार की हादसे होते हैं, इसलिए आपको अनिवार्य रूप से गैस पाइप लेना ही पड़ेगा,और पाइप नहीं लेने पर अपनी जिम्मेदारी लेते हुए शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा, इनकी बातों से गैस उपभोक्ताओं के सेहत और स्वास्थ्य पर परम जिम्मेदारी का एहसास रस की तरह टपकता हुआ महसूस हो रहा था,अब इन्हीं लोगों के रहमों करम से अधिकांश घरों तक जंक लगे हुए दबे पीटे गैस सिलेंडरों का सप्लाई बेधड़क किया जा रहा है,जिस पर खाद्य विभाग अपने सारे कर्तव्यों को तिलांजलि देकर ऐसे अवैध और खतरनाक कारोबार को बढ़ावा देने वाले पर किसी भी प्रकार की भौतिक सत्यापन अथवा और कार्यवाही के मौन स्वीकृति दिया जाना 100 सवालों को जन्म दे रहा है, इस समस्या पर किसी पत्रकार के द्वारासंज्ञान लेने के लिए विभाग को जागरूक करने की जरूरत नहीं है बल्कि स्वयं विभाग को समय डर समय गैस एजेंसियों मैं पहुंच करसारे सुरक्षा मानवों का भौतिक सत्यापन करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया जाना अनिवार्य होना चाहिए,अक्सर हम देख रहे हैं हम जनता से तरह-तरह का आवेदन लेने देने के लिए विवश किया जाता है पर आम जनता की सुरक्षा को लेकर विभाग जांच पड़ताल कर सर्टिफिकेट देना जरूरी क्यों नहीं समझता यह यक्ष प्रश्न लोगों के सेहत पर निसंदे भारी है,,,।
,,,,,,गैस हस्तांतरण के दौरान क्या कहता है जरूरी नियम,,,, यूं तो प्रत्येक उपभोक्ताओं सहित गैस वितरण कर्ताओ अथवा एजेंसी धारकों का यह कर्तव्य बनता है कि गैस टंकी हस्तांतरण के दौरान उक्त गैस टंकी का अनुभवी लोगों के द्वारा समुचित जांच पड़ताल, निर्धारित वजन तौल,तथा लीकेज आदि की समस्त संभावनाओं को जांच परख कर उपभोक्ताओंके हवाले किया जाना चाहिए,लेकिन मजाल है किसी भी गैस एजेंसी संचालकों के द्वारा जरूरी नियमों का पालन किया जाता हो,आखिरकार प्रत्येक गैस उपभोक्ताओं के साथ इस तरह की बड़ी और गंभीर लापरवाही किसके शह पर की जा रही है यह जांच का विषय जरूर बनता है,आम उपभोक्ता अपनी गाढ़ी कमाई से कुछ अंश निकालकर गैस संबंधी अपनी सुविधा जूटाता है,और जाने अनजाने में गैस उपभोक्ताओं को इन गैर जिम्मेदार लोगों के द्वारा जान जोखिम में डालने का कार्य किया जा रहा है,कुछ हद तक इसके लिए आम जनता को भी जिम्मेदार कहे तो कोई गलत नहीं होगी,आम जनता यदि गैस संचालकों को फील्ड में ही सारे मानकों को जांच परख कर गैस देने के लिए जोर दिया जाऐ तो उन्हें झक मार कर उन नियमों का पालन करते हुए गैस उपभोक्ताओं के हवाले करना पड़ेगा, लेकिन आम गैस उपभोक्ताओं को इस प्रकार बने हुए नियमों का जानकारी नहीं होने के चलते जिम्मेदार लोगों के द्वारा जमकर लापरवाही बरती जा रही है,इस पर जनता को अपने जानो माल के हिफाजत के लिए जागरूक और जिम्मेदार बनना होगा तभी हम ऐसे लापरवाह गैस एजेंसी संचालकों को सीधे लाइन में लाया जा सकता है, क्योंकि एक सीधा सा फंडा है जिम्मेदार बने जागरूक बने