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महानदी में पुण्य स्नान के साथ आज से शुरू होगा माघी मेला का आयोजन

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महानदी में पुण्य स्नान के साथ आज से शुरू होगा माघी मेला का आयोजन

संपादक-हरी देवांगन

प्रदेश का ऐतिहासिक शिवरीनारायण का पंद्रह दिवसीय माघी मेला आज से शुरू होने जा रहा है,भगवन शिवरीनारायण मंदिर में माघी पूर्णिमा को लेकर तैयारियां पूरी हो गई है,शनिवार को श्रद्धालु महानदी में पुण्य स्नान कर भगवान शिवरीनारायण का दर्शन कर पुण्य लाभ उठाने जा रहे हैं, प्रचलित आस्था के अनुसार शिवरीनारायण को भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान माना जाता है, मान्यता है कि माघ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण में विराजते हैं, प्रदेश में सबसे लंबे समय तक चलने वाला शिवरीनारायण का पंद्रह दिवस माघी मेला आज से प्रारंभ हो रहा है, जिसके मध्देनजर भगवान शिवरीनारायण में माघी मेला को लेकर तैयारियां पूरी हो गई है, जहां पुण्य स्नान कर भगवान शिवरीनारायण का दर्शन करेंगे, भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं,भगवान शिवरीनारायण मंदिर, मठ मंदिर, चंद्रचूड़ महादेव मंदिर, श्रीराम मंदिर की साफ सफाई कर रंग रोंगन का कार्य किया गया है। भगवान शिवरीनारायण मंदिर सहित सभी मंदिरों को लाइट झालरों से सजाया गया है,भगवान शिवरीनारायण मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि सुबह 4 बजे मंदिर का पट खोल दिया जाएगा। माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान शिवरीनारायण का शुद्ध जल, गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा।भगवान को नवीन वस्त्र धारण करने जाएंगेऔर सोने चांदी के आभूषणों से राजसी श्रृंगार किया जाएगा। भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। भगवान की महाआरती की जाएगी। भगवान को छप्पन भोग लगाए जाएंगे। भगवान शिवरीनारायण मंदिर के गर्भगृह सहित पूरे मंदिर परिसर को रंग – बिरंगे फूल मालाओं से सजाया गया है,नगर पंचायत द्वारा महानदी के घाटों की सफाई कर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। मेले व महानदी के घाटों में प्रयाप्त प्रकाश व्यवस्था की गई है। मेले के अंदर, महानदी के घाटों व भगवान शिवरीनारायण मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई है।

लोट मारते पहुंच रहे श्रद्धालु

भगवान शिवरीनारायण के दर्शन करने जमीन पर लोट मारते आने की वर्षों पुरानी परंपरा रही है। भक्तों की भगवान शिवरीनारायण पर अटूट आस्था और विश्वास है, यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु प्रदेश के ही नहीं अपितु जिगर प्रदेशों से भी आते हैं जिसमें बड़ी संख्या में साधु संतो की उपस्थिति दर्शनी होती है,
लोट मारने की शुरुआत एकादशी तिथि से होती है जो माघ पूर्णिमा तक जारी रहती है,मंदिर की परिक्रमा कर वे गर्भगृह पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं। महिलाओं के साथ पुरूषों व बधो भी लोट मारते हुए नजर आए। मन्नात मांगने वाले श्रद्धालु व मन्नात पूरी होने पर भक्त भगवान के दर्शन करने जमीन पर लोट मारते पहुंचते हैं,
मेले की तैयारियां पूरी हो गई है। मेले में इस बार 8 टूरिंग टाकीज, 4 बड़े आकाश झूले, 2 नाव झूला, 5 ब्रेक डांस झूले, सोलंबो झूला, 4 ड्रैगन झूला, 2 रेंजर झूला, 1 आक्टोपस झूला, 2 टोरा टोरा झूला, 2 क्राप्ट बाजार, 1 प्रिस्बी झूला, 4 मीना बाजार, बच्चों के विभिन्ना झूले सहित विभिन्ना दुकानें सज गई है। मेले में इस बार एक के जगह दो मौत कुंआ का तमाशा देखने में लोगों को विशेष आनंद मिलने वाला है।

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