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अनकही अपठित पुत्र को पूरे परिवार ने दी नम आंखों से दी अंतिम विदाई

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अनकही अपठित पुत्र को पूरे परिवार ने दी नम आंखों से दी अंतिम विदाई,अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोग हुए शामिल

संवाददाता हरी देवांगन

जिला उप मुख्यालय चांपा- यदि हम किसी से यह सवाल करें कि कोई बंदा आखिरकार कितना दुख सह सकता है, तो वाजिब है इसका जवाब सामने वाला दे नहीं पाएगा और जब दुख सहने वाला अनकही हो जाए या उसकी पूरी जिंदगी अपठित हो जाए जिसे पढ़ा ना जा सके, तो फिर वह बंदा अपनी शारीरिक कष्ट एवं परेशानियों को किस तरह से व्यक्त करेगा इसका तनिक अंदाज़ लगाकर देखा जाए तो हम सभी यही कह पाएंगे कि इस प्रश्न का उत्तर देना लगभग नामुमकिन है।
उल्लेख करते चलें कि आज से लगभग 45 साल पहले चांपा नगर के प्रतिष्ठित साइकिल व्यवसाय श्री जीवरखन लाल देवांगन के परिवार में दो जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ था जिसमें एक पुत्र एवं पुत्री सामान्य एवं स्वस्थ रूप से इस दुनिया अपनी उपस्थिति दी,कालांतर में दोनों बच्चे प्राकृतिक रूप से बढ़ते और पलते रहे पर इन जुड़वा बच्चों में पुत्र जिसका नाम विष्णु रखा गया था, किन्हीं कारणों से तबीयत खराब होने पर नगर के सुप्रसिद्ध चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था जहां स्वस्थ होने के बाद कुछ ही दिनों में डिस्चार्ज भी कर दिया गया, पर होनी को कुछ और ही मंजूर था डिस्चार्ज होने के उपरांत घर जाने का इंतजार कर रहे परिजनों के मध्य ऐसा कुछ वाक्य हुआ कि एकाएक एक नर्स कुछ इंजेक्शन तथा जरूरी दवाइयां लेकर पहुंची और छुट्टी मिल चुके बच्चों को जरूरी ट्रीटमेंट के नाम पर कुछ इंजेक्शन एवं दवाइयां दी गई जो कि करीब के ही बेड पर सोया हुआ किसी अन्य मरीज बच्चों के लिए निर्धारित किया गया था,इसके उपरांत नन्हे मासूम लगभग 2 वर्ष के विष्णु का तबीयत इंजेक्शन लगने के बाद खराब होता चला गया और कुछ ही पल के अंतराल मे मासूम विष्णु को दिमागी रूप (दिमागी पक्षाघात) से गंभीर लकवा मार गया इस पर परिजनों ने बताया कि कथा कथित इलाज के बाद विष्णु के मस्तिष्क से जुड़ी हुई नसों पर गंभीर और गहरा आघात लगने के कारण कुछ ही दिनों में एकदम असामान्य बच्चा बन जाने के चलते वह सुख-दुख,अच्छा बुरा, ऊपर नीचे,आगे पीछे, हर रिश्ते नातों , हर तरह के हालात को समझने जानने से परे होता चला गया, समय करवट लेता गया पल-पल गुजरता गया पर विष्णु के शारीरिक स्वास्थ्य पर कभी भी कुछ भी प्रयास के बाद भी बेहतर प्रभाव और इलाज संभव नहीं हो पाया,इसी तरह से विष्णु तथा परिजन पिछले 45 सालों से उसकी देखभाल सहित लालन-पालन करते चले आ रहे थे,यहां बताते चलें कि पिछले कुछ दिनों से लगभग45 वर्षीय विष्णु को शारीरिक-मानसिक समस्या का सामना कुछ अधिक ही करना पड़ रहा था वैसे तो पिछले 45 सालों से वह अपने शरीर में हो रहे परिवर्तन तथा दुख एवं तकलीफ को बताने में असमर्थ था फिर भी माता-पिता भाई-बहन यथा संभव उसकी परेशानियों को समझ कर दूर करने का प्रयास करते रहे हैं,कई बार ऐसा अवसर आया है जब उसे किसी डॉक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ी हो,लेकिन असामान्य होने के कारणों से चिकित्सालय ले जाना संभव नहीं होने पाने से यथासंभव घर पर ही चिकित्सक बुलाकर इलाज करने का प्रयास भी किया जाता रहा,लेकिन विष्णु के द्वारा कभी यह बता पाना संभव ही नहीं हुआ कि वह किन परेशानियों का सामना वह कर रहा है, यही वजह है कि उसकी दुख तकलीफ एवं परेशानियों को कभी परिजन पूरी तरह से समझ पाने में असमर्थ होते रहे, परिजनो ने इस संदर्भ में आगे बताया कि वैसे तो विष्णु रात दिन हर पल मां बाप के साथ रहकर ही जिंदगी जीने के लिए विवश हो रहा था,और यथासंभव सभी के द्वारा जितना बन पड़ सका करते रहे, पर पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से सेहत लगातार ऊपर नीचे होता रहा और अंततः अनकही और अपठित जिंदगी इस असार दुनिया को अल्प आयु में इस कदर एकाएक छोड़कर चला गया मानो उसके साथ कुछ हुआ ही नहीं,जिसे लेकर भी परिजनों के मन में भारी मलाल है,और इस तरह विष्णु अपने पीछे मां-बाप सहित भारे पूरे परिवार को रोता बिलखता छोड़कर चला गया, विष्णु के देहांत होने के बाद परिजनों ने बिना किसी कोर कसर के संपूर्ण विधि विधान एवं रीति रिवाज के साथ जिस तरह से अंतिम यात्रा का आगाज किया गया वह काबिले तारीफ है, बताते चलें कि विष्णु चांपा संवाददाता का चचेरा भाई था, अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में परिवारजन सहित नगर के प्रबुद्ध जनों ने शिरकत करते हुए विष्णु को अंतिम विदाई सहित श्रद्धांजलि देने के लिए बेरियर रोड के स्थानीय मुक्तिधाम में लगातार पहुंचाते रहे।

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