नदी को खोद,खोद कर नदी बचाने की सामंतवादी सोच ले डुबेगा नदी के सौंदर्य सहित प्राकृतिक पर्यावरण को, यह कैसी विकास,नदी का सीना चिर पाइप लाइन
मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा- यह तो सर्व विदित है कि सालों से हसदेव नदी के प्राकृतिक धरोहर सहित सौंदर्य का बहुते रों ने जमकर चीर हरण किया है,और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से नदी तट का आज पर्यंत चीर हरण का सिलसिला बदस्तूर जारी है,कई स्वयंसेवी संगठनों सहित जागरूक लोगों के द्वारा हसदेव अरण्य बचाओ सहित कई समिति एवं संगठनों के माध्यम से लगातार हसदेव संस्कृति को बचाने का पूरजोर प्रयास किया जा रहा है,पर यह प्रयास अब तक रंग नहीं ला सका और यही वजह है कि सालो से लेकर अब तक हसदेव नदी के सीने में चिरा लगाने का कार्य को किसी भी स्वरूप से रोका नहीं जा सका है,और आज हसदेव सहित इसके तट का प्राकृतिक सौंदर्य एवं वातावरण के हो रहे ह्रास को रोक पाना लगभग असंभव जान पड़ रहा है,(एक तरफ नदी में गंदा पानी मिलने से रोकने का प्रयास तो दूसरी तरफ नदी को एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक नाला जैसे खोद देना) यह न्याय नहीं कहा जा सकता,उल्लेखित है कि इन सब के उपरांत भी प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार लोगों ने पूरी तरह से उजाड़ और तट का खाली दामन होने के उपरांत भी इसके सीने को तार तार करने से जिम्मेदार बाज नहीं आ रहे हैं,और यही वजह है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी इस नदी के घाट को दांव पर लगाते हुए ड्रेनेज पाइप लाइन विस्तार के लिए कार्य किया जा रहा है,जो रही सही हसदेव परंपरा के समूल विनाश के रूप में देखा जा सकता है,
शासन स्तर पर क्या है ड्रेनेज पाइपलाइन विस्तार की योजना,यह तथ्य सही है कि चांपा नगर सहित आसपास के अन्य जिलों के लिए हसदेव नदी को विकास एवं सभ्यता के लाइफ लाइन के रूप में उल्लेख करें तो कोई अतिसंयोक्ति वाली बात नहीं होगी,यह नदी नहीं बल्कि एक परंपरा है,एक संपूर्ण सभ्यता है,और इस सभ्यता को बचाना हर किसी का दायित्व बनता है,बताते चलें कि साल से नगर के घरों से निकलने वाला दुषित एवं गंदा पानी को अनगिनत नालियों के माध्यम से नदी के मुहाने में छोड़ा जा रहा है,इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हसदेव नदी के तट में ड्रेनेज पाइपलाइन का विस्तार किया जा रहा है,और यह कार्य संपूर्ण होने के बाद अनगिनत नालियों से नदी में जाकर मिलने वाला दूषित पानी को इस पाइप के सहारे यहां से दूर ले जाने से नदी में हो रही अपार गंदगी को नियंत्रित करने का योजनाधिन कार्यक्रम के तहत विस्तार किया जा रहा है,एक ओर नदी को स्वच्छ बनाने का प्रयास तो दूसरी तरफ नदी के सौंदर्य सहित प्राकृतिक पर्यावरण पर गंभीर घात करते हुए खोद खोद कर बदसूरत कर न्याय करने का जो विकासशील तरीका अपनाया जा रहा उसे युक्ति संगत कतई ना नहीं कहा जा सकता, इस विस्तार योजना के लिए केवल हसदेव नदी का तट को क्यों चुना गया यही यहां पर एक ज्वलंत प्रश्न है, हमारे आसपास कोरबा बिलासपुर रायपुर जैसे कई जिलों में ड्रेनेज पाइपलाइन के लिए नदी अथवा प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाऐ बिना शहर के बीचो-बीच नाला जैसे खोदकर ड्रेनेज पाइपलाइन का विस्तार किया गया है, उसी तर्ज पर चांपा नगर में भी यह योजना क्रियान्वित किया जाना चाहिए था,पर क्या वजह है जो यहां ऐसा ना करके रही सही नदी के पर्यावरण सहित सौंदर्य पर प्रहार करते हुए साकार करने का पुरजोर प्रयास चल रहा है,जहां पहले ही यह तट अनगिनत बार छिन्न भिन्न हो चुका है और अब बची हुई नदी के अस्मिता पर विकास के लिए खोद चीर हरण जैसा हालात देखने को मिल रहा है इसके लिए किसे जिम्मेदार कहा जाएं यह तय करना बाकी हैl
विभिन्न विभागों ने किस आधार पर दिया होगा अनुमति,,, अक्सर यह देखा जाता है पर्यावरण से जुड़े हुए नवनिर्माण सहित विकास कार्य के लिए पर्यावरण सहित कई विभागों की संयुक्त अनुमति अनिवार्य होती है,जहां हसदेव अरण्य को लेकर कई धरना प्रदर्शन सहित धरना आंदोलन किया जा रहा है उसके मद्देनजर आखिरकार पर्यावरण सहित अनुमति देने वाले कई विभागों ने किस आधार पर नदी के तट में ड्रेनेज पाइपलाइन के लिए स्वीकृति दिया होगा यह सोचने वाली बात है,यह भी बात यहां पर उल्लेखनीय है कि इस तरह के पाइपलाइन विस्तार सहित विकास कार्य के लिए नगर के जिम्मेदार एवं जागरूक लोगों के द्वारा आखिर कार इसे लेकर किसी भी प्रकार का आवाज क्यों नहीं उठाया गया यह भी चौंकाने वाली बात महसूस की जा रही हैं,यहां पर पाइपलाइन विस्तार के लिए चौतरफा खामोशी का वातावरण क्यों बना हुआ है यह अनेकों सवाल खड़ा करता है।