भगीरथ प्रयास के अभाव में हसदेव नदी सहित एनीकट बना अपशिष्ट का डंपिंग यार्ड
आते जाते नदी किनारे कचरा फेंकना बन गया परंपरा
मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा- जहां एक ओर उजाड़ हो रहा है हसदेव अरण्य तो वहीं दूसरी ओर कचरा प्रबंधन को लेकर कु रण नीति ने इस समस्या को और भी भयावह बना दिया है, अब तक उजाड़ हो रही जीवंत हसदेव परंपरा को अक्षूण रखने में कहीं कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है,जी हां हम अपने सुधी पाठकों का ध्यान चांपा के हसदेव नदी में निर्मित एनी कट एवं उसके आसपास के परिधि में फैली हुई अपार गंदगी की बात कर रहे हैं, जो जीवन दाहिनी जल स्रोत को दूषित करने का ज्वलंत पर्याय बन चुका है,यहां पहुंच कर जो नजारा देखने को मिलता है, तो यही कहा जा सकता है कि नदी का जल स्रोत सहित निर्मित एनीकट अपशिष्ट कु प्रबंधन का डंपिंग यार्ड बनकर रह गया है,कुछ समय पहले जिम्मेदारों के द्वारा यहां वहां सर्वत्र साफ सफाई का अभियान चलते हुए देखा जा रहा था, लेकिन नदी सहित एनीकट आसपास के एरिया को छोड़ दिए जाने से यहां जो अपार गंदगी फैला हुआ है उससे निःसंदेह प्राकृतिक जल स्रोत सहित पर्यावरण को पहले से और अधिक गंभीर नुकसान पहुंच रहा है,यह प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण बन चुका है, कुछ साल पहले हमें ऐसे ही जल स्रोत के आसपास प्रशासन के द्वारा एक बोर्ड लिखा हुआ मिलता था जिसमें खुले स्थान पर शौच करते हुए पाया गया तो कार्रवाई करते हुए जुर्माना वसूला जाएगा यहां तक की ऐसे लोगों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज करा दिए जाने का हवाला दिया जा रहा था, तो फिर ऐसे ही इन प्राकृतिक जल स्रोतों सहित पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए आते जाते कचरा फेंकने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं किया जा रहा है, यह प्रश्न जागरूक लोगों के मन में बिजली की भांति कौंध रहा है, प्रशासन को यह चिन्हित कर लेना चाहिए कि वे कौन लोग हैं जो घरों घर कचरा समेटने वाले ठेला उपलब्ध होने के बाद भी आते-जाते नदी सहित महत्वपूर्ण जल स्रोतों पर कचरा फेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं, वजन साफ है,इन पर कार्यवाही नहीं होने के कारणों से लोग बेधड़क (निर्भीक )होकर स्वतंत्र भाव से थोक में कचरा फेंक कर चले जाते हैं,और यही कचरा तमाम परेशानियों का कारण बनता हुआ नजर आ रहा हैl
क्यों फेंक रहे लोग कचरा नदी के घाटों में
अब यहां समय आ चुका है कि ऐसे ही सवालों का प्रशासन को उत्तर ढूंढ लेना चाहिए उल्लेखित है कि आम जनता के घरों से कचरा समेटने के लिए अब उनसे कर( टैक्स ) वसूला जा रहा है इसके बाद भी लोग घर से निकले हुए कचरा सहित अपशिष्ट को पालिका के सफाई कर्मियों को सौंपने के बजाय आते-जाते आखिरकार क्यों नदी के घाटों में कचरा को फेंकने से कतराते नहीं है, ऐसे ही अनेक प्रश्न है जो प्रशासन के लिए समस्या का वजह बना है,पर प्रशासन को इन वजहों के पीछे खड़े हो रहे प्रश्नों का उत्तर ढूंढने में फिर हाल कोई रुचि नजर नहीं आता और इन्हीं बेपरवाही से लोग निर्भीक होकर घरों,गोदामों,निर्माण स्थलों, होटल ढाबों आदि से निकलने वाला कचरा को नदी के तट पर फेंक कर चलते बनते हैं,और यही कचरो से नदी के प्राकृतिक जल स्रोत सहित पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है,जिसका खामियाजा कचरा फेंकने वाले को ही नहीं बल्कि सार्वजनिक रूप से हर किसी को भुगतना पड़ रहा है, हम जिस पर्यावरण सहित प्राकृतिक ह्रास को दिन प्रतिदिन महसूस कर रहे हैं,इसका मुख्य वजह ऐसे ही अपार गंदगी सहित अपशिष्ट कु प्रबंधन ही तो मुख्य कारण बनता रहा है,,,,।