मुख्य संपादक-लखन देवांगन/ संवाददाता-हरी देवांगन
जांजगीर चाम्पा-जिला मुख्यालय जांजगीर किसी भी जिले के लिए जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टरों की बड़ी तादाद में उपस्थिति जिले की सुव्यवस्थित स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डालता है यह हम सभी जानते हैं कि इस धरा पर जीता जागता यदि कोई भगवान है तो उसे हम डॉक्टर की दर्जा देते हैं,इसके उपरांत भी सरकारी चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर इस हद तक लापरवाह हो सकते हैं इसका हमें उदाहरण ऐसे ही सरकारी अस्पतालों में देखने सुनने को मिलते ही रहता है, और अब इसका ज्वलंत नमूना देखने को मिला जांजगीर जिला चिकित्सालय में जहां धरती के फरिश्तों ने सारी जिम्मेदारियों को ताक में रखकर ऐसी मिसाल कायम की है की मरीज और उनके परिजन चिकित्सालय छोड़कर निजी अस्पताल में अपना इलाज कराना बेहतर समझेंगे, इस क्रम में बताया जाता है कि
भाजपा नेताओ के अनुरोध पर जिला अस्पताल जांजगीर के डॉ. एके जगत द्वारा अस्पताल के निरिक्षण करने पर 17 डॉक्टर नीतिन जुनेजा, डॉ. शाहबाज खांडा, डॉ. आकाश सिंह राणा, डॉ. यूके मरकाम, डॉ. निकीता खेस, डॉ. निशांत पटेल, डॉ. पुष्पेन्द्र पटेल, डॉ. हरीतश पटेल, डॉ. सदानंद जांगड़े, डॉ. योगेश राठौर, डॉ. वंसुधरा कश्यप, डॉ. आरएस सिदार, डॉ. इकबाल यूसेन, डॉ. दीपक साहू, डॉ. संदीप साहू, डॉ. आकाश थवाईत, डॉ. प्राची जांगड़े नदारत मिले जिस पर कार्रवाई करते हुए डॉ. जगत ने नदारत मिले डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया, नोटिस में कहा गया है कि बिना किसी सूचना एवं स्वीकृति अवकाश के अनावश्यक रूप से अनुपस्थिति के कारण अस्पताल की छबि धूमिल हुई है, साथ ही दो दिन के अंदर स्पस्टीकरण मांगा है, अन्यथा वेतन कटौती की कार्रवाई की बात कही जा रही है, यह पहली बार नहीं हुआ है, ऐसी शिकायत कई बार देखने को मिलती है, लेकिन इसकी शिकायत नहीं की जाती जिसके कारण इन बातो का खुलासा नहीं हो पाता है, गौरतलब है कि यदि किसी चिकित्सालय में कोई निम्न श्रेणी कर्मचारी बिना स्वीकृति के चिकित्सालय नहीं आता तो उस पर कार्यवाही की बड़ी गाज गिरा दी जाती है,जबकि इसी चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर सरकारी ड्यूटी में होते हुए भी चिकित्सालय आकर मरीजों का देखभाल न करने की जैसे कसम खा ली है,यह तो हद हो गई डॉक्टरों की नियमानुसार जिला चिकित्सालय में ड्यूटी नियुक्त होने के उपरांत भी वे बिना सूचना अथवा स्वीकृति के थोक के भाव में चिकित्सालय ना पहुंचना प्रशासनिक अव्यवस्था पर करारा तमाचा के बराबर घोर लापरवाही क्यों ना समझा जाऐ, यदि इस तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ी लापरवाही जिला मुख्यालय में देखी जा रही है तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे स्वास्थ्य केंद्रों में क्या नजारा देखने को मिलेगा, अब देखना होगा धरती के देव पुत्रो (डॉक्टरों )को जारी किया गया नोटिस केवल नोटिस बंद कर रहा है जाता है या इनके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही की जाएगी फिर हाल यह संदेह भविष्य के गर्भ में समाया हुआ है और यदि कड़ी कार्रवाई की जाएगी तो ऐसे लापरवाह डॉक्टरों के लिए यह सबक का कारण बन सकता है,