चांपा एनीकट मे चल रहा मछलियों का अवैध कारोबार
मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध फिर भी सरेआम मछली बाजार और बिक रहा एनीकट पर मछलियां
चांपा एनीकट मे चल रहा मछलियों का अवैध कारोबार
मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा- मछली पालन विभाग बना धुत्त राष्ट्र, शासन के आदेशानुसार जिले का मत्स्य विभाग जोकि ग्राम कुलीपोता में स्थापित किया गया है के द्वारा 15 जून से 15 सितंबर तक मछलियों का रति काल खंड होने के कारणों से मछली मारने पर प्रतिबंध लगाया जाता है,और यह प्रतिबंध लगाकर जिले का मत्स्य विभाग अपने जिम्मेदारियों से इतिश्री कर आंख मुंदे बैठ चुका है, जिसके चलते नदी नाले तलाब सहित प्राकृतिक जल स्रोतों में प्रतिबंध के उपरांत भी जमकर मछली मारने वालों का हुजूम देखा जा रहा है,क्या विभाग को इस बात की भौतिक सत्यापन कर लेना नहीं चाहिए कि शासन की मंशा अनुसार जारी प्रतिबंध का कितना और कहां पालन हो रहा है,इसे बिना संज्ञान में लिए विभाग ने प्रतिबंध जारी कर यह भूल गया कि आखिरकार बाजार में इस कदर ताजातरीन मछली आमजन के लिए मछली का जायका और स्वाद बरकरार बना हुआ है, जो कि इन्हीं नदी नालों एवं प्राकृतिक जल स्रोतों से उपलब्ध कराया जा रहा है, हर वर्ष इन्हीं महीनों में मछली पालन विभाग के द्वारा प्रतिबंध जारी किया जाता है,यदि इस पर समुचित जांच पड़ताल किया जाए तो जिले का मत्स्य विभाग हो रहे उल्लंघन के लिए शत प्रतिशत जिम्मेदार पाया जा सकता है,पर विभाग को इस बात की कोई परवाह नहीं।
गौरतलब है कि चांपा के एनीकट सहित संपूर्ण नदी तट क्षेत्र में लोगों के द्वारा जमकर मछली पकड़ते, मारने ( मत्स्या खेट) वालों का हुजूम प्रातः काल से शाम तक निरंतर चल रहा है,विभाग के कर्मचारी से लेकर आला अधिकारी इन्हीं मार्गो से गुजरते हैं, पर उन्हें कोई परवाह नहीं है, हम सब को यह ज्ञात है कि प्राकृतिक जल स्रोत में बहुत से ऐसे भी मछलियों की प्रजाति है जो लुप्तप्राय माना जाता है,और यही बरसात का सीजन मछलियों में प्रजनन क्षमता के चलते सीजन काल के रूप में चिन्हित किया गया है, और प्रतिबंध भी इनके संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए लगाया जाता है,इसके बाद भी लोगों के द्वारा अज्ञानता एवं लापरवाही के चलते जमकर मछली मारने का कार्य किया जा रहा है, इस दौरान विभाग के द्वारा कारवाही किया जाए तो हर रोज सैकड़ों की तादाद में मामला दर्ज किया जा सकता है, लेकिन विभाग इस कदर बे परवाह है इसका अंदाजा नदी नाले तालाबों के किनारे जाकर देखा जा सकता है, विभाग के द्वारा कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण हर वर्ष बरसाती सीजन मछली मारने को लेकर प्रतिबंध के उपरांत भी इन महीनों मे अधिक मछली पकड़ने वालों की भीड़ देखी जाती है,क्या इस बात की जानकारी विभाग को नहीं होगा आखिरकार क्यों?विभाग अपने जिम्मेदारियों से इतिश्री कर बैठा है यह जांच का विषय बनता है!
प्रदेश सरकार के द्वारा जिले के भारी-भरकम मछली विभाग के स्टाफ सहित जल जीव एवं मछली संरक्षण के लिए लाखों करोड़ों का बजट का खपाया जाता है फिर भी लगातार लुप्तप्राय समझे जाने वाले मछलियों की संरक्षण नहीं होने के कारणों से आज इनकी उपस्थिति समाप्ति की ओर है, आखिर विभाग अपने मूल जिम्मेदारियों को कब समझ पाएगा यह लोगों के समझ से बाहर है ।