मुख्य संपादक लखन देवांगन /संवाददाता हरी देवांगन
मई महीने में सावन जैसे झड़ी,बेमौसम बरसात से आम जनजीवन अस्त व्यस्त, मौसम का बिगड़ा तेवर प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा तो नहीं? जिला उप मुख्यालय चांपा, वर्तमान दौर के मौसम को लेकर पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को खंगाला जाए तो अप्रैल और मई के महीना भीषण गर्मी का शुरुआती दौर के रूप में माना जाता है, अक्सर इन महीनों में हल्की-फुल्की आंधी तूफान या कभी कभार गरज के साथ छींटे देखने को मिलते थे पर इस वर्ष जिस तरह अप्रैल मई के महीने में मौसम का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है, उससे कई तरह के कयास लगाए जा सकते हैं जिसमें क्लाइमेंट चेंज पर यदि बात की जाए तो वैश्विक तौर पर प्राकृतिक पर्यावरण को जो क्षति पहुंच रही है उसकी नुकसान सहित भरपाई के रूप में इस बदले हुए मौसम के मिजाज को समझा जा सकता है,वर्तमान में जो मौसम का हद से ज्यादा खुशनुमा मिजाज देखने को मिल रहा है वह केवल आज या कल की बात नहीं है फरवरी माह के पहले से ही यह मौसम लगातार परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, अन्य सालों की अपेक्षा इस वर्ष भीषण गर्मी का एहसास अभी एक दिवस के लिए भी नहीं हो पाया है लगातार आ रही बदली सहित हल्की-फुल्की फुहार ने प्रकृति से जैसे सारा गर्मी ही छीन लिया जैसा एहसास हो रहा है, और यही वजह है कि इस वर्ष अब तक पसीना टिपकने जैसे गर्मी कम महसूस हुई है,एक बात सुनिश्चितता के साथ कहीं जा सकती है कि वर्तमान में जो पल हर पल मौसम के मिजाज में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल रहा है वह हमें भविष्य में होने वाली भारी बदलाव की ओर इशारा करता हुआ हमारा ध्यान आकृष्ट कर रहा है, यूं तो हर मौसम की अपनी एक विशेषता होती है ठंडी में अगर ठंड का एहसास ना कराए तो यह भी हमारे पर्यावरण के लिए घातक होगा ठीक इसी तरह यदि गर्मी के दिनों में गर्मी ना लगे तो इसे खुश होने के बजाय प्रकृति का संतुलन बिगड़ने का नतीजा समझा जा सकता है, गर्मी साधारण हो या भीषण इसके अपने ही अलग नतीजे होते हैं क्योंकि वर्ष में आने वाले ठंडी गर्मी बरसात सभी का अपना प्राकृतिक संतुलन वाला महत्व होता है यदि इन में कहीं भी कोई हद से ज्यादा परिवर्तन आए तो समझा जा सकता है यह मानवी लापरवाही से प्राकृतिक पर्यावरण से की जा रही छेड़छाड़ का यह एक छोटा सा उदाहरण के रूप में हम ले सकते हैं, यह बात केवल जांजगीर चांपा अथवा छत्तीसगढ़ का नहीं है बल्कि देश के अधिकांश हिस्सों में बे मौसम बरसात सहित गरज चमक ने देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक निर्दोष जनों की जान जा रही है जिसे लेकर मौसम वैज्ञानिकों सहित जागरूक जनों के मन में प्राकृतिक असंतुलन को लेकर होने वाली समस्या से कशमकश की दौड़ चल रही है।