हद कर दी आपने,नगर विकास के नाम पर डामरीकरण के बाद 24 घंटे में उखड़ने लगी भ्रष्टाचार रूपी सड़क, वार्ड पार्षद एवं जनप्रतिनिधियों पर खिंचने लगी सवालों की लकीरें
मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा- चांपा नगर का हृदय स्थल पोस्ट ऑफिस रोड पिछले कई सालों से इतना ज्यादा जर्जर हो चुका था कि अनगिनत लोग गिरकर लहू लुहान होते रहे, उल्लेखनीय है कि बीते बरसात में स्थिति और भी गंभीर हो गया था इसके बाद भी प्रशासनिक जिम्मेदारी में बैठे हुए लोगों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा था,और अब त्रीस्तरीय पंचायत चुनाव सहित स्थानीय निकाय चुनाव के मध्देनजर राजनीतिक स्वार्थ से अभिभूत होकर अत्यंत जर्जर हो चुके नगर के महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण तो जिम्मेदारों द्वारा कर दिया गया है, लेकिन तनिक इस नव निर्माण का जायजा लिया जाए तो यह इतना स्तर हीन और भ्रष्टाचार से लबरेज निर्माण कार्य को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किन जिम्मेदारियों के खानापूर्ति के लिए इस तरह का घटिया सड़क का निर्माण किया गया होगा,यहां स्पष्ट कर दे की चांपा पोस्ट ऑफिस रोड का सड़क निर्माण को हुए 48 घंटे भी नहीं हो पाया और कंक्रीट एवं डामर का मिश्रण अनुपात गलत होने के कारणों से यहां वहां से उखड़ कर कंक्रीट बिखरने से भ्रष्टाचार का नजारा सरे आम देखा जा सकता है,क्या जिम्मेदार पदों में बैठे हुए प्रशासनिक अधिकारियों का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि निर्माण के दौरान एवं निर्माण के बाद किस तरह से ठेकेदार द्वारा निर्माण किया गया है इसका भौतिक सत्यापन किया जाना चाहिए, और इन्हीं गैर जिम्मेदाराना व्यवहार शैली के चलते ठेकेदार भारी भरकम निर्माण राशि प्राप्त करने के बाद में घोर लापरवाही कर बड़ी ही आसानी से निकल जाते हैं, जहां एक ओर राष्ट्रीय राजमार्ग 49 को छूते हुए डामरीकरण का कार्य किया जाना चाहिए था वहां आधा अधूरा डामरीकरण का कार्य किए जाने से मोहल्ले वासियों में पहले से ही आक्रोश देखा जा रहा है, और अब डामरीकरण कार्य में जिस तरह से लापरवाही सहित भ्रष्टाचार का उदाहरण देखने को मिल रहा है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण कार्य में लगे हुए ठेकेदार किस तरह से प्रशासनिक पदों में बैठे हुए लोगों के साथ साठ गांठ कर निर्माण कार्य में जमकर लापरवाही किया गया है, स्पष्ट है कि पोस्ट ऑफिस रोड चांपा का डामरीकरण को दो दिन पहले संपन्न किया गया है, और सड़क 40% से भी अधिक उखड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है, जिसे छुपाने के लिए नियम के तहत डामरीकरण के बाद रेत का इस्तेमाल किया गया है, जो कि अक्सर किया जाता है लेकिन यहां पर वजह कुछ और ही स्पष्ट हो रहा है, ऐसी स्थिति में इस तरह का नगर विकास सहित चुनाव के निकट आते ही विकास का ढिंढोरा पीटने के लिए जन प्रतिनिधियों के द्वारा जो मानसिकता प्रस्तुत किया जा रहा है उसे यदि जनता समझ जाए तो फिर उन्हें राजनीति के ताने-बाने से बाहर निकाल जाने में समय नहीं लगने वाला है,और यदि इस तथ्य को समझ जाए तो सही मायने में विकास कार्य को अमली जामा पहनाया जा सकता है अन्यथा नहीं।